डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना भारत को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए की थी – नरेंद्र कुमार जी

डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना भारत को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए की थी – नरेंद्र कुमार जी
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रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार जी ने कहा कि प. पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भारत को परम वैभव सम्पन्न बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रख कर की थी. राष्ट्र को परम वैभव सम्पन्न बनाने का अर्थ है – भारत विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बने. अपने राष्ट्र को परम वैभव सम्पन्न बनाने के लिए डॉ. हेडगेवार जी ने दो सूत्र बताए…..पहला – व्यक्ति निर्माण यानि अनुशासित, देशभक्त, संस्कारित, देश – समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से सेवा के लिए तत्पर रहने वाले नागरिकों का निर्माण. दूसरा – समाज का संगठन यानि वैसे संस्कारित व्यक्तियों के माध्यम से ही समाज को संगठित करना. डॉ. हेडगेवार जी ने इन दोनों कार्यों के लिये शाखा पद्धति बनायी. शाखा में खेल, व्यायाम, समता अभ्यास, गीत, बौद्धिक आदि के माध्यम से जीवन में अनुशासन आता है और सामूहिकता विकसित होती है, जिससे समाज संगठित होता है. संघ का लक्ष्य लोक जागरण एवं लोक संगठन के माध्यम से समाज एवं देश को परिवर्तन के लिए तैयार कर राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना है. नरेंद्र जी रविवार को आटीआई मैदान में संपन्न राँची महानगर के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि संगठित समाज शक्ति के समक्ष सरकार भी घुटने टेकती है, जिसका उदाहरण केरल का बाल गोकुलम है. बाल गोकुलम द्वारा प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी कार्यक्रम के अवसर पर नन्हें-नन्हें बच्चों के लिए कृष्ण – श्रृंगार प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है,  जिसमें मुस्लिम, इसाई महिलाएं भी अपने बच्चों को बड़े शौक से प्रतिभागी बनाती हैं. बाल गोकुलम के कार्यक्रम की लोकप्रियता के कारण केरल की कम्युनिस्ट सरकार को जन्माष्टमी कार्यक्रम के लिए राजपत्रित अवकाश घोषित करना पड़ा.

नरेंद्र कुमार जी ने कहा कि राजसत्ता, शासन आधारित अनेकों समाज व्यवस्थाओं के समूल नष्ट हो जाने के अनेकों उदाहरण इतिहास में मौजूद हैं. भारत में करीब 800 वर्षों तक मुगलों का शासन रहा, फिर भी  वे मात्र 13 प्रतिशत लोगों का ही धर्मांतरण कर सके, जबकि इसाईयों को भी इसमें अत्यल्प सफलता ही मिल सकी. इसका बड़ा कारण हमारी जीवन शक्ति का समाज में विभक्त रहना है. डॉ. हेडगेवार जी ने भारत में प्राचीन काल से चले आ रहे समाज शक्ति एवं लोक शक्ति के जागरण का कार्य किया. महात्मा गाँधी के अवज्ञा आन्दोलन के दौरान करीब 9 माह तक जेल में रहे, परन्तु जेल जाने से पहले उन्होंने संघ चलता रहे, इसकी व्यवस्था के लिए बाला साहेब आप्टे को जिम्मेवारी सौंपी.

उन्होंने कहा कि हमारा भारत राष्ट्र प्राचीन काल से है. हमारे जीवन-मूल्य, दृष्टिकोण पाश्चात्य देशों से अलग है. प्रकृति, स्त्री की ओर देखने का हमारा भाव अलग है. प्रकृति से जितनी आवश्यकता है, उतना ही लेना, उसका शोषण नहीं करना. बल्कि उससे लेने के साथ-साथ बदले में उसका संरक्षण भी करना. पर-स्त्री को मातृवत् समझना, यह हमारी परम्परा रही है. हमारी जीवन-पद्धति समाज आधारित है. समाज आधारित व्यवस्था चिरस्थायी होती है, इससे समाज ठीक चलता है. राज्य अथवा शासन पर निर्भर व्यवस्था समाज को अकर्मण्य एवं दुर्बल बना देती है. कवि रविन्द्र नाथ ठाकुर, आचार्य बिनोबा भावे जैसे अनेकों महापुरूषों ने लोक शक्ति के जागरण का महत्व बताया है.

जय हिन्द।

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