मेरे पिता मेरी ताकत–मेरी प्रेरणा–मेरी पहचान

*मेरे पिता*
मेरी ताकत–मेरी प्रेरणा–मेरी पहचान

मेरे पिता आदरणीय श्री वेद पाल सिंह  (जन्म: 15–06–1944 ;  मृत्यु : 07–04–2023)  मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी पहचान थे। आप कृषि विभाग, हरियाणा में कार्यरत थे और डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर के पद से रिटायर हुए थे। एक सरकारी अधिकारी के तौर पर आपने हमेशा किसानों के हित मे काम किया। जहा–जहा भी आपकी पोस्टिंग रही, वहा के किसानों को आपने सरकारी योजनाओं की जानकारी दी और वहा के किसानों को सभी तरह की सरकारी योजनाओं के तहत लाभ पहुंचाया। इसी वजह से आज भी ये लोग उन्हें सम्मान से याद करते हैं।

मेरे अन्दर की कुछ खूबियों को आपने ही समझा और मुझे लोगों की भलाई के लिए सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने को प्रेरित किया। मेरे पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे और उन्ही की प्रेरणा पाकर मैं 2012 से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी। चूंकि गांव के लोगों व किसानों में उनका विशेष सम्मान था, इसलिए 2012 से अब तक हर लोकसभा व विधानसभा चुनावों में आप मेरे साथ भाजपा के प्रचार में अपना पूर्ण सहयोग देते थे। मेरे सामाजिक कार्यों में मेरे पिता हर तरह से मेरा सहयोग करते थे। मुझे जब भी सामाजिक कार्यकर्ता या भाजपा पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर कोई भी सम्मान मिलता तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हे ही होती थी।

आप हमारे महान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से और उनके काम से बहुत ही प्रभावित थे। उन्हीं की वजह से मैं 2014–15 से प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के "नरेन्द्र मोदी एप्प" से जुड़ी हुई हूं।

मेरे पिता जी बचपन में हम सभी भाई–बहनों को रात को सोते समय कई तरह की कहानियां सुनाते थे, उनमें कुछ कहानियां महावीरों और देशभक्तों की भी होती थी, जैसे अमर सिंह राठौड़, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद आदि–आदि। बाद में इन्ही कहानियों को याद करके, इधर उधर से सर्च करके और अपने पिता जी के सहयोग से मैं अपने ब्लॉगर ( https://vijetamalikbjp.blogspot.com/ ) पर इन्हें डालती थी। अब तक मैं 1000 से भी ज्यादा हमारे महावीरों, महान व्यक्तियों और देशभक्तों व अन्य जानकारियों को अपने ब्लॉगर पर डाल चुकी हूं। मेरे पिता जी ने मेरे हर लेख को ध्यान से पढ़ा और सराहा था। मेरे पिता ही मेरी सबसे बड़ी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी पहचान थे।

मेरे पिता जी कुछ समय से पेट की बीमारी से पीड़ित थे और 27–03–2023 से मिदांता हस्पताल, गुरुग्राम में एडमिट थे, जहा 07–04–2023 की रात को उन्होंने सदा के लिए अपनी आंखें बन्द कर ली। यह मेरे लिए एक बहुत ही दुःख की घड़ी थी। कल यानि 19–04–2023 को उनकी तेरहवीं के बाद से मैं अपने आपको उनके हम सब को छोड़कर चले जाने के दुःख को भुलाने की कोशिश कर रही हूं। आप हमारे बीच में हैं और हमें काम करता देख रहे हैं। मेरी ये नम आंखें अभी भी आप ही को ढूंढ रही है। आप ही मेरी ताकत, मेरी प्रेरणा और मेरी पहचान थे और हमेशा रहेंगे।
🙏🙏
विजेता मलिक 

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