नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर एक कविता

क्रांति के देवता सुभाष चन्द्र बोस को प्रणाम 
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यह कटे फटे नक्शे वाला फिर हिंदुस्तान नहीं होता| 
सुभाष विजयी जाते तो यह भंग विधान नहीं होता || 

भारत के खण्ड खण्ड करके गाँधी जिन्ना थे हुए मौन | आज़ाद हिन्द के नक्शे मैं यह पाकिस्तान नहीं होता || 

भाई भाई हो गये विलग माँ के कितने ही अंग कटे | 
दंगा फसाद की लपटों मैं माँ के मुह बोले लाल मिटे || 

परचम इक शांति का अहिंसा का गाँधी लहराते रहे वहां | लाशों पर लाशें बिखर गयी माँ बहनो के श्रृंगार मिटे || 

खुन मुझे दो लो आज़ादी निर्भय सुभाष का नारा था | आपदाएं बेबस हार गयी पर वीर सुभाष ना हारा था || 

जब तेग सुभाष की मचली तो सतधारी भयभीत हुये | किस्मत उनको मार न सकी अपनों ने उनको मारा था || 

आज़ाद हिन्द का सेनानी आज़ादी का मतवाला था | 
माँ की बेड़ी मै काटूगा अरमाँ वक्ष में पाला था || 

वह भारत का सच्चा सपूत था वीर शिरोमणि औ अजये | आफत से लड़ने वाला वह माँ का सच्चा रखवाला था ||

आज़ादी संग मंगनी होगी आज़ाद चमन दे जाउंगा | 
मेरी अखंड भारत माँ की तस्वीर कभी न खण्डित हो, 
एक बार नहीं शत बार सही इन चरणों में मिट जाऊगा || 

वह आग धधकती कहा गई वह राष्ट्र प्रेम क्यों ध्वस्त हुआ || घायलों के चरचे होत कुर्बानी क्यों काफूर हूई || 
बस भूख पेट खॉव खॉव खप्पर काली का तृप्त हुआ| 

नाहर सुभाष सा बलिदानी क्या पूनरावतार नहीं होगा |
भारत माँ के दुख दर्दों का कोई उपचार नहीं होगा ||

उस त्याग तपोमय शोणित की धारा क्यों सुखी है .....
हे सुभाष तुम जैसा निर्भय अभिमानी धरती पर वीर नहीं होगा ......

★तुम मुझे खून दो,
मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा★

जय हिन्द ।
वन्देमातरम ।
भारत माता की जय ।

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........ विजेता मलिक


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