मन की बात

"मन की बात"
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29 दिसम्बर, 2019

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। 

2019 की विदाई का पल हमारे सामने है। 3 दिन के भीतर-भीतर 2019 विदाई ले लेगा और हम, ना सिर्फ 2020 में प्रवेश करेंगे, नए साल में प्रवेश करेंगे, नये दशक में प्रवेश करेंगे, 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश करेंगे। मैं, सभी देशवासियों को 2020 के लिए हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ। इस दशक के बारे में एक बात तो निश्चित है, इसमें, देश के विकास को गति देने में वो लोग सक्रिय भूमिका निभायेंगे जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है -जो इस सदी के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझते हुये बड़े हो रहे हैं। ऐसे युवाओं के लिए, आज, बहुत सारे शब्दों से पहचाना जाता है। कोई उन्हें Millennials के रूप में जानता है,तो कुछ उन्हें, Generation Z या तो Gen Z ये भी कहते हैं। और व्यापक रूप से एक बात तो लोगों के दिमाग में फिट हो गई है कि ये Social Media Generation है। हम सब अनुभव करते हैं कि हमारी ये पीढ़ी बहुत ही प्रतिभाशाली है। कुछ नया करने का, अलग करने का, उसका ख्वाब रहता है। उसके अपने opinion भी होते हैं और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है, और विशेषकरके, मैं, भारत के बारे में कहना चाहूँगा, कि, इन दिनों युवाओं को हम देखते हैं, तो वो, व्यवस्था को पसंद करते हैं, system को पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, वे system को, follow भी करना पसंद करते हैं। और कभी, कहीं system, properly respond ना करें तो वे बैचेन भी हो जाते हैं और हिम्मत के साथ,system को, सवाल भी करते हैं।मैं इसे अच्छा मानता हूँ। एक बात तो पक्की है कि हमारे देश के युवाओं को, हम ये भी कह सकते हैं, अराजकता के प्रति नफ़रत है। अव्यवस्था, अस्थिरता, इसके प्रति, उनको, बड़ी चिढ़ है।वे परिवारवाद, जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री-पुरुष, इन भेद-भावों को पसंद नहीं करते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि हवाई अड्डे पर, या तो सिनेमा के theatre में भी, अगर, कोई कतार में खड़ा है और बीच में कोई घुस जाता है तो सबसे पहले आवाज उठाने वाले, युवा ही होते हैं। और हमने तो देखा है,कि, ऐसी कोई घटना होती है, तो, दूसरे नौजवान तुरंत अपना mobile phone निकाल करके उसकी video बना देते हैं और देखते-ही-देखते वो video,viral भी हो जाता है।और जो गलती करता है वो महसूस करता है कि क्या हो गया! तो, एक नए प्रकार की व्यवस्था, नए प्रकार का युग, नए प्रकार की सोच, इसको, हमारी युवा-पीढ़ी परिलक्षित करती है।आज, भारत को इस पीढ़ी से बहुत उम्मीदे हैं। इन्हीं युवाओं को, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाना है। 

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था –“My Faith is in the Younger Generation, the Modern Generation, out of them, will come my workers”। उन्होंने कहा था –‘मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है, इस आधुनिक generation में है, modern generation में है, और, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया था, इन्हीं में से, मेरे कार्यकर्ता निकलेंगे। युवाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा – “युवावस्था की कीमत को ना तो आँका जा सकता है और ना ही इसका वर्णन किया जा सकता है”। यह जीवन का सबसे मूल्यवान कालखंड होता है। आपका भविष्य और आपका जीवन, इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी युवावस्था का उपयोग किस प्रकार करते हैं।विवेकानंद जी के अनुसार, युवा वह है जो energy और dynamism से भरा है और बदलाव की ताकत रखता है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में, यह दशक, ये decade, न केवल युवाओं के विकास का होगा, बल्कि, युवाओं के सामर्थ्य से, देश का विकास करने वाला भी साबित होगा और भारत आधुनिक बनाने में इस पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है,ये मैं साफ अनुभव करता हूँ। आने वाली 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती पर, जब देश, युवा-दिवस मना रहा होगा, तब प्रत्येक युवा, इस दशक में, अपने इस दायित्व पर जरुर चिंतन भी करे और इस दशक के लिए अवश्य कोई संकल्प भी ले।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप में से कई लोगों को कन्याकुमारी में जिस rock पर स्वामी विवेकानंद जी ने अंतर्ध्यान किया था, वहां परजो विवेकानंद rock memorial  बना है, उसके पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। पिछले पांच दशकों में, यह स्थान भारत का गौरव रहा है। कन्याकुमारी, देश और दुनिया के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना है। राष्ट्रभक्ति से भरे हुए आध्यात्मिक चेतना को अनुभव करना चाहने वाले, हर किसी के लिए, ये एक तीर्थ-क्षेत्र बना हुआ है, श्रद्धा-केंद्र बना हुआ है। स्वामीजी के स्मारक ने, हर पन्थ, हर आयु के, वर्ग के लोगों को, राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित किया है।‘दरिद्र नारायण की सेवा’, इस मन्त्र को जीने का रास्ता दिखाया है। जो भी वहां गया, उसके अन्दर शक्ति का संचार हो, सकरात्मकता का भाव जगे, देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हो - ये बहुत स्वाभाविक है।

हमारे माननीय राष्ट्रपति महोदय जी भी पिछले दिनों इस पचास वर्ष निर्मित rock memorial का दौरा करके आए हैं और मुझे खुशी है कि हमारे उप-राष्ट्रपति जी भी गुजरात के, कच्छ के रण में, जहाँ एक बहुत ही उत्तमरणोत्सवहोता है, उसके उद्घाटन के लिए गए थे। जब हमारे राष्ट्रपति जी, उप-राष्ट्रपति जी भी, भारत में ही ऐसे महत्वपूर्ण tourist destination पर जा रहे हैं, देशवासियों को, उससे जरुर प्रेरणा मिलती है - आप भी जरुर जाइये।

मेरे प्यारे देशवासियो, हम अलग-अलग colleges में, universities में, schools में पढ़ते तो हैं, लेकिन, पढाई पूरी होने के बाद alumni meet एक बहुत ही सुहाना अवसर होता है और alumni meet,ये सब नौजवान मिलकर के पुरानी यादों में खो जाते हैं,जिनकी, 10 साल, 20 साल, 25 साल पीछे चली जाती हैं।लेकिन, कभी-कभी ऐसी alumni meet, विशेष आकर्षण का कारण बन जाती है, उस पर ध्यान जाता है और देशवासियों का भी ध्यान उस तरफ जाना बहुत जरुरी होता है। Alumni meet, दरअसल, पुराने दोस्तों के साथ मिलना, यादों को ताज़ा करना, इसका अपना एक अलग ही आनंद है और जब इसके साथ shared purpose हो, कोई संकल्प हो, कोई भावात्मक लगाव जुड़ जाए, फिर तो, उसमें कई रंग भर जाते हैं।आपने देखा होगा कि alumni group कभी-कभी अपने स्कूलों के लिए कुछ-न-कुछ योगदान देते हैं। कोई computerized करने के लिए व्यवस्थायें खड़ी कर देते हैं,कोई अच्छी library बना देते हैं, कोई अच्छी पानी की सुविधायें खड़ी कर देते हैं, कुछ लोग नए कमरे बनाने के लिए करते हैं,कुछ लोग sports complex के लिए करते हैं।कुछ-न-कुछ कर लेते हैं। उनको आनंद आता है कि जिस जगह पर अपनी ज़िन्दगी बनी उसके लिए जीवन में कुछ करना, ये, हर किसी के मन में रहता है और रहना भी चाहिए और इसके लिए लोग आगे भी आते हैं। लेकिन, मैं आज किसी एक विशेष अवसर को आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ I अभी पिछले दिनों, मीडिया में, बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के भैरवगंज हेल्थ सेंटर की कहानी जब मैंने सुनी, मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं आप लोगों को बताये बिना रह नहीं सकता हूँ I इस भैरवगंज Healthcentre के, यानि, स्वास्थ्य केंद्र में, मुफ्त में, health check up करवाने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोगों की भीड़ जुट गई I अब, ये कोई बात सुन करके, आपको, आश्चर्य नहीं होगा। आपको लगता है, इसमें क्या नई बात है?आये होंगे लोग ! जी नहीं! बहुत कुछ नया है। ये कार्यक्रम सरकार का नहीं था, न ही सरकार का initiative था।ये वहां के K.R High School, उसके जो पूर्व-छात्र थे,  उनकी जो Alumni Meet थी, उसके तहत उठाया गया कदम था, और, इसका नाम दिया था ‘संकल्प Ninety Five’।  ‘संकल्प Ninety Five’ का अर्थ है- उस High School के 1995 (Nineteen Ninety Five) Batch के विद्यार्थियों का संकल्प I दरअसल, इस Batch के विद्यार्थियों ने एक Alumni Meet रखी और कुछ अलग करने के लिए सोचा I इसमें पूर्व-छात्रों ने, समाज के लिए, कुछ करने की ठानी और उन्होंने जिम्मा उठाया Public Health Awareness  का I ‘संकल्प Ninety Five’ की इस मुहिम में बेतिया के सरकारी Medical College और कई अस्पताल भी जुड़ गये।उसके बाद तो, जैसे, जन-स्वास्थ्य को लेकर एक पूरा अभियान ही चल पड़ा। निशुल्क जाँच हो, मुफ्त में दवायें देना हो, या फिर, जागरूकता फ़ैलाने का, ‘संकल्प Ninety Five’ हर किसी के लिए एक मिसाल बनकर सामने आया है I 

हम अक्सर ये बात कहते हैं कि जब देश का हर नागरिक एक कदम आगे बढ़ता है, तो ये देश, 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है I ऐसी बातें जब समाज में प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलती हैं तो हर किसी को आनंद आता है, संतोष मिलता है और जीवन में कुछ करने की प्ररेणा भी मिलती है I एक तरफ, जहाँ बिहार के बेतिया में,पूर्व-छात्रों के समूह नेस्वास्थ्य-सेवा का बीड़ा उठाया, वहीं उत्तर प्रदेश के फूलपुर की कुछ महिलाओं ने अपनी जीवटता से, पूरे इलाके को प्रेरणा दी है। इन महिलाओं ने साबित किया है कि अगर एकजुटता के साथ कोई संकल्प ले तो फिर परिस्थितियों को बदलने से कोई रोक नहीं सकता। कुछ समय पहले तक, फूलपुर की ये महिलाएँ आर्थिक तंगी और  गरीबी से परेशान थीं, लेकिन, इनमें अपने परिवार और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा था I इन महिलाओं ने, कादीपुर के स्वंय सहायता समूह,Women Self Help Group उसके साथ जुड़कर चप्पल बनाने का हुनर सीखा, इससे इन्होंने, न सिर्फ अपने पैरों में चुभे मजबूरी के कांटे को निकाल फेंका, बल्कि, आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का सम्बल भी बन गईं I ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से अब तो यहाँ चप्पल बनाने काplant भीस्थापित हो गया है, जहाँ, आधुनिक मशीनों से चप्पलें बनाई जा रही हैं। मैं विशेष रूप से स्थानीय पुलिस और उनके परिवारों को भी बधाई देता हूँ, उन्होंने, अपने लिए और अपने परिजनों के लिए, इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलों को खरीदकर, इनको प्रोत्साहित किया है।आज, इन महिलाओं के संकल्प से न केवल उनके परिवार के आर्थिक हालत मजबूत हुए हैं, बल्कि, जीवन स्तर भी ऊँचा उठा है I जब फूलपुर के पुलिस के जवानों की या उनके परिवारजनों की बातें सुनता हूँ तो आपको याद होगा कि मैंने लाल किले से 15 अगस्त को देशवासियों को एक बात के लिए आग्रह किया था और मैंने कहा था कि हम देशवासी local खरीदने का आग्रह रखें।आज फिर से एक बार मेरा सुझाव है, क्या हम स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को प्रोत्साहन दे सकते हैं? क्या अपनी खरीदारी में उन्हें प्राथमिकता दे सकतें हैं? क्या हम Local Products को अपनी प्रतिष्ठा और शान से जोड़ सकते हैं? क्या हम इस भावना के साथ अपने साथी देशवासियों के लिए समृद्धि लाने का माध्यम बन सकते हैं? साथियो, महात्मा गाँधी ने, स्वदेशी की इस भावना को, एक ऐसे दीपक के रूप में देखा, जो, लाखों लोगों के जीवन को रोशन करता हो।  ग़रीब-से-ग़रीब के जीवन में समृद्धि लाता हो। सौ-साल पहले गाँधी जी ने एक बड़ा जन-आन्दोलन शुरू किया था। इसका एक लक्ष्य था, भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना। आत्मनिर्भर बनने का यही रास्ता गाँधी जी ने दिखाया था। दो हज़ार बाईस (2022) में, हम हमारी आज़ादी के 75 साल पूरे करेंगे।जिस आज़ाद भारत में हम सांस ले रहे हैं, उस भारत को आज़ाद कराने के लिए लक्ष्यावधि सपूतोंने, बेटे-बेटियों ने, अनेक यातनाएं सही हैं, अनेकों ने प्राण की आहुति दी है।लक्ष्यावधि लोगों के त्याग, तपस्या, बलिदान के कारण, जहाँ आज़ादी मिली, जिस आज़ादी का हम भरपूर लाभ उठा रहे हैं, आज़ाद ज़िन्दगी हम जी रहे हैं और देश के लिए मर-मिटने वाले, देश के लिए जीवन खपाने वाले, नामी-अनामी, अनगिनत लोग, शायद, मुश्किल से हम, बहुत कम ही लोगों के नाम जानते होंगे, लेकिन, उन्होंने बलिदान दिया - उस सपनों को ले करके, आज़ाद भारत के सपनों को ले करके - समृद्ध, सुखी, सम्पन्न, आज़ाद भारत के लिए !

मेरे प्यारे देशवासियो, क्या हम संकल्प कर सकते हैं, कि 2022, आज़ादी के 75  वर्ष हो रहे हैं, कम-से-कम, ये दो-तीन साल, हम स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बनें? भारत में बना, हमारे देशवासियों के हाथों से बना, हमारे देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो, ऐसी चीजों को, हम, खरीद करने का आग्रह कर सकते हैं क्या ? मैं लम्बे समय के लिए नहीं कहता हूँ, सिर्फ 2022 तक, आज़ादी के 75 साल हो तब तक। और ये काम, सरकारी नहीं होना चाहिए, स्थान-स्थान पर नौजवान आगे आएं, छोटे-छोटे संगठन बनायें, लोगों को प्रेरित करें, समझाएं और तय करें - आओ, हम लोकल खरीदेंगे, स्थानीय उत्पादों पर बल देंगे, देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो - वही, मेरे आज़ाद भारत का सुहाना पल हो, इन सपनों को लेकर के हम चलें।

मेरे प्यारे देशवासियों, यह, हम सब के लिए, बहुत ही महत्वपूर्ण है, कि देश के नागरिक, आत्मनिर्भर बनें और सम्मान के साथ अपना जीवन यापन करें। मैं एक ऐसे पहल की चर्चा करना चाहूँगा जिसने मेरा ध्यान खींचा और वो पहल है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का हिमायत प्रोग्राम।हिमायत दरअसल Skill Development और रोज़गार से जुड़ा है।इसमें, 15 से 35 वर्ष तक के किशोर और युवा शामिल होते हैं। ये, जम्मू-कश्मीर के वे लोग हैं, जिनकी पढाई, किसी कारण, पूरी नहीं हो पाई, जिन्हें, बीच में ही स्कूल-कॉलेज छोड़ना पड़ा।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको जानकर के बहुत अच्छा लगेगा, कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पिछले दो सालों में, अठारह हज़ार युवाओं को,77 (seventy seven), अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से, क़रीब पाँच हज़ार लोग तो, कहीं-न-कहीं job कर रहे हैं, और बहुत सारे, स्व-रोजगार की ओर आगे बढे हैं।हिमायत प्रोग्राम से अपना जीवन बदलने वाले इन लोगों की जो कहानियां सुनने को मिली हैं, वे सचमुच ह्रदय को छू लेती हैं !

परवीन फ़ातिमा, तमिलनाडु के त्रिपुर की एक Garment Unit में promotion के बाद Supervisor-cum-Coordinator बनी हैं।एक साल पहले तक, वो, करगिल के एक छोटे से गाँव में रह रही थी।आज उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, आत्मविश्वास आया - वह आत्मनिर्भर हुई है और अपने पूरे परिवार के लिए भी आर्थिक तरक्की का अवसर लेकर आई है।परवीन फ़ातिमा की तरह ही, हिमायत प्रोग्राम ने, लेह-लद्दाख क्षेत्र के निवासी, अन्य बेटियों का भी भाग्य बदला है और ये सभी आज तमिलनाडु की उसी फार्म में काम कर रहे हैं। इसी तरह हिमायत डोडा के फियाज़ अहमद के लिए वरदान बन के आया।फियाज़ ने 2012 में, 12वीं की परीक्षा पास की, लेकिन बीमारी के कारण,वो अपनी पढाई जारी नहीं रख सके।फियाज़,दो साल तक हृदय की बीमारी से जूझते रहे।इस बीच, उनके एक भाई और एक बहन की मृत्यु भी हो गई।एक तरह से उनके परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया। आखिरकार, उन्हें हिमायत से मदद मिली।हिमायत के ज़रिये ITES यानी Information Technologyenabled services’में training  मिली और वे आज पंजाब में नौकरी कर रहे हैं।

फियाज़ अहमद की graduation की पढाई, जो उन्होंने साथ-साथ जारी रखी वह भी अब पूरी होने वाली है। हाल ही में, हिमायत के एक कार्यक्रम में उन्हें अपना अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया। अपनी कहानी सुनाते समय उनकी आँखों में से आंसू छलक आये।इसी तरह, अनंतनाग के रकीब-उल-रहमान, आर्थिक तंगी के चलते अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाये। एक दिन,रकीब को अपने ब्लॉक में जो एक कैंप लगा था mobilisation camp, उसके जरिये हिमायत कार्यक्रम का पता चला।रकीब ने तुरंत retail team leader course में दाखिला ले लिया। यहाँ ट्रेनिग पूरी करने बाद आज, वो एक कॉर्पोरेट हाउस में नौकरी कर रहे हैं।‘हिमायत मिशन’ से लाभान्वित, प्रतिभाशाली युवाओं के ऐसे कई उदाहरण हैं जो जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन के प्रतीक बने हैं। हिमायत कार्यक्रम, सरकार, ट्रैनिंग पार्टनर , नौकरी देने वाली कम्पनियाँ और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक बेहतरीन तालमेल का आदर्श उदाहरण है|

 इस कार्यक्रम ने जम्मू-कश्मीर में युवाओं के अन्दर एक नया आत्मविश्वास जगाया है और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया।

मेरे प्यारे देशवासियों, 26 तारीख को हमने इस दशक का आख़िरी सूर्य-ग्रहण देखा।शायद सूर्य-ग्रहण की इस घटना के कारण ही MY GOV पर रिपुन ने बहुत ही Interesting comment लिखा है।वे  लिखते हैं ...’नमस्कार सर, मेरा नाम रिपुन है ..मैं north-east का रहने वाला हूँ लेकिन इन दिनों south में काम करता हूँ। एक बात मैं आप से share करना चाहता हूँ।मुझे याद है हमारे क्षेत्र में आसमान साफ़ होने की वजह से हम घंटों, आसमान में तारों पर टकटकी लगाये रखते थे। star gazing, मुझे बहुत अच्छा लगता था। अब मैं एक professional हूँ और अपनी दिनचर्या के कारण, मैं इन चीज़ों के लिए समय नहीं दे पा रहा हूँ... क्या आप इस विषय पर कुछ बात कर सकते हैं क्या ? विशेष रूप से Astronomy को युवाओं के बीच में कैसे popular किया जा सकता है ?’

मेरे प्यारे देशवासियों , मुझे सुझाव बहुत आते हैं लेकिन मैं कह सकता हूँ कि इस प्रकार का सुझाव शायद पहली बार मेरे पास आया है। वैसे विज्ञान पर, कई पहलुओं पर बातचीत करने का मौका मिला है।खासकर के युवा पीढ़ी के आग्रह पर मुझे बातचीत करने का अवसर मिला है। लेकिन ये विषय तो अछूता ही रहा था और अभी 26 तारीख को ही सूर्य-ग्रहण हुआ है तो लगता है कि शायद इस विषय में आपको भी कुछ न कुछ रूचि रहेगी।तमाम देशवासियों , विशेष तौर पर मेरे युवा-साथियों की तरह मैं भी,जिस दिन, 26 तारीख को, सूर्य-ग्रहण था, तो देशवासियों की तरह मुझे भी और जैसे मेरी युवा-पीढ़ी के मन में जो उत्साह था वैसे मेरे मन में भी था, और मैं भी, सूर्य-ग्रहण देखना चाहता था, लेकिन, अफसोस की बात ये रही कि उस दिन, दिल्ली में आसमान में बादल छाए हुए थे और मैं वो आनन्द तो नहीं ले पाया, हालाँकि, टी.वी पर कोझीकोड और भारत के दूसरे हिस्सों में दिख रहे सूर्य-ग्रहण की सुन्दर तस्वीरें देखने को मिली। सूर्य चमकती हुई ring के आकार का नज़र आ रहा था।और उस दिन मुझे कुछ इस विषय के जो experts हैं उनसे संवाद करने का अवसर भी मिला और वो बता रहे थे कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होता है और इसलिए, इसका आकार, पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता है।इस तरह से, एक ring का आकार बन जाता है।यह सूर्य ग्रहण, एक annular solar eclipse जिसे वलय-ग्रहण या कुंडल-ग्रहण भी कहते हैं।ग्रहण हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम पृथ्वी पर रहकर अंतरिक्ष में घूम रहे हैं । अंतरिक्ष में सूर्य, चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों जैसे और खगोलीय पिंड घूमते रहते हैं । चंद्रमा की छाया से ही हमें, ग्रहण के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं । साथियो, भारत में Astronomy  यानि खगोल-विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है । आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है । आप में से बहुत लोगों को पता होगा कि भारत के अलग-अलग स्थानों में बहुत ही भव्य जंतर-मंतर हैं , देखने योग्य हैं । और, इस जंतर-मंतर का Astronomy से गहरा संबंध है । महान आर्यभट की विलक्षण प्रतिभा के बारे में कौननहीं जानता ! अपनी काल -क्रिया में उन्होंने सूर्य-ग्रहण के साथ-साथ, चन्द्र-ग्रहण की भी विस्तार से व्याख्या की है । वो भी philosophical और mathematical, दोनों ही angle से की है । उन्होंने mathematically बताया कि पृथ्वी की छाया या shadow की size  का calculation कैसे कर सकते हैं।उन्होंने ग्रहण के duration और extent को calculate करने की भी सटीक जानकारियाँ दी। भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस spirit को और इस knowledge को आगे बढ़ाने के लिएभरसक प्रयास किये।बाद में, चौदहवीं–पंद्रहवीं सदी में, केरल में, संगम ग्राम के माधव, इन्होंने ब्रहमाण्ड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए calculus का उपयोग किया।रात में दिखने वाला आसमान, सिर्फ, जिज्ञासा का ही विषय नहीं था बल्कि गणित की दृष्टि से सोचने वालों और वैज्ञानिकों के लिए एक महवपूर्ण sourceथा।कुछ वर्ष पहले मैंने ‘Pre-Modern Kutchi (कच्छी) Navigation Techniques and Voyages’, इस पुस्तक का अनावरण किया था । ये पुस्तक एक प्रकार से तो ‘मालम (maalam) की डायरी’ है । मालम, एक नाविक के रूप में जो अनुभव करते थे, उन्होंने, अपने तरीक़े से उसको डायरी में लिखा था । आधुनिक युग में उसी मालम  की पोथी को और वो भी गुजराती पांडुलिपियों का संग्रह, जिसमें, प्राचीन navigation technology का वर्णन करती है और उसमें बार-बार ‘मालम नी पोथी’ में आसमान का, तारों का, तारों की गति का, वर्णन किया है, और ये, साफ बताया है कि समन्दर में यात्रा करते समय, तारों के सहारे, दिशा तय की जाती है। Destination पर पहुँचने का रास्ता, तारे दिखाते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, Astronomy  के क्षेत्र में भारत काफी आगे है और हमारे initiatives , path breaking भी हैं। हमारे पास, पुणे के निकट विशालकाय Meter Wave Telescope है। इतना ही नहीं, Kodaikanal , Udaghmandalam ,Guru shikhar और Hanle Ladakh में भी powerful telescope हैं । 2016 में, बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री, और मैंने, नैनीताल में 3.6 मीटर देवस्थल optical telescope का उद्घाटन किया था।इसे एशिया का सबसे बड़ा telescope कहा जाता है। ISRO के पास ASTROSAT नाम का एक Astronomical satellite है। सूर्य के बारे में research करने के लिये ISRO, ‘आदित्य’ के नाम से एक दूसरा satellite भी launch करने वाला है। खगोल-विज्ञान को लेकर, चाहे, हमारा प्राचीन ज्ञान हो, या आधुनिक उपलब्धियां, हमें इन्हें अवश्य समझना चाहिए, और उनपर गर्व करना चाहिए। आज हमारे युवा वैज्ञानिकों में’ न केवल अपने वैज्ञानिक इतिहास को जानने की ललक दिखाई पड़ती है बल्कि वे,Astronomy के भविष्य को लेकर भी एक दृढ़ इच्छाशक्ति रखते हैं।

हमारे देश के Planetarium, Night Sky को समझने के साथ Star Gazing को शौक के रूप में विकसित करने के लिए भी motivate करते हैं।कई लोग Amateur telescopes को छतों या Balconies में लगाते हैं। Star Gazing से Rural Camps और Rural Picnic को भी बढ़ावा मिल सकता है। और कई ऐसे school-colleges हैंजो Astronomy के club भी गठन करते हैं और इस प्रयोग को आगे भी बढ़ाना चाहिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी संसद को, लोकतंत्र के मंदिर के रूप में हम जानते हैं।एक बात का मैं आज बड़े गर्व से उल्लेख करना चाहता हूँ कि आपने जिन प्रतिनिधियों को चुन करके संसद में भेजा है उन्होंने पिछले 60 साल के सारे विक्रम तोड़ दिये हैं। पिछले छः मास में, 17वीं लोकसभा के दोनों सदनों, बहुत ही productive रहे हैं। लोकसभा ने तो 114% काम किया, तो, राज्य सभा ने  Ninty four प्रतिशत काम किया। और इससे पहले, बजट-सत्र में, करीब 135 फ़ीसदी काम किया था।देर-देर रात तक संसद चली। ये बात मैं इसलिये कह रहा हूँ कि सभी सांसद इसके लिये बधाई के पात्र हैं, अभिनन्दन के अधिकारी हैं। आपने जिन जन-प्रतिनिधियों को भेजा है, उन्होंने, साठ साल के सारे record तोड़ दिये हैं। इतना काम होना, अपने आप में, भारत के लोकतंत्र की ताकत का भी, और लोकतंत्र के प्रति आस्था का भी, परिचायक है। मैं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, सभी राजनैतिक दलों को, सभी सांसदों को, उनके इस सक्रिय भूमिका के लिये बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा की गति केवल ग्रहण तय नहीं करती है, बल्कि, कई सारी चीजें भी इससे जुड़ी हुई हैं। हम सब जानते हैं कि सूर्य की गति के आधार पर, जनवरी के मध्य में, पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाएंगे। पंजाब से लेकर तमिलनाडु तक और गुजरात से लेकर असम तक, लोग, अनेक त्योहारों का जश्न मनायेंगे। जनवरी में बड़े ही धूम-धाम से मकर- संक्रांतिऔर उत्तरायण मनाया जाता है। इनको ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। इसी दौरान पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ-बिहु भी मनाये जाएंगे।ये त्यौहार, किसानों की समृद्धि और फसलों से बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं।ये त्यौहार, हमें, भारत की एकता और भारत की विविधता के बारे में याद दिलाते हैं। पोंगल के आख़िरी दिन, महान तिरुवल्लुवर की जयन्ती मनाने का सौभाग्य, हम देशवासियों को मिलता है। यह दिन, महान लेखक-विचारक संत तिरुवल्लुवर जी को, उनके जीवन को, समर्पित होता है।

    मेरे प्यारे देशवासियो, 2019 की ये आख़िरी ‘मन की बात’ है। 2020 में हम फिर मिलेंगे। नया वर्ष, नया दशक, नये संकल्प, नयी ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्साह – आइये चल पड़ें। संकल्प की पूर्ति के लिए सामर्थ्य जुटाते चलें।दूर तक चलना है, बहुत कुछ करना है,देश को नई ऊंचाइयों पर पहुँचना है। 130 करोड़ देशवासियों के पुरुषार्थ पर, उनके सामर्थ्य पर, उनके संकल्प पर, अपार श्रद्धा रखते हुए, आओ, हम चल पड़ें। 

बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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