गोधरा कांड
गोधरा काण्ड
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27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात आ रही साबरमती एक्सप्रेस नामक ट्रेन में मुसलमानों की एक हिंसक भीड़ ने आग लगा दी थी जिसमें जलकर 59 हिंदू कारसेवक मारे गए थे....
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन दंगों की शुरुआत मुसलमानों ने ही की थी। बताया जाता है की अयोध्या से आने वाली इस ट्रेन में जिन हिंदू कारसेवकों को जला कर मारा गया था बाद में उन्हीं की जली हुई लाशों को जब उनके घर पहुंचाया गया था, तब हिंदुओं से अपनों की ऐसी हालत नहीं देखी गई और उनमे आक्रोश फैल गया और यही से गुजरात दंगों की शुरुआत हुई। इन दंगों में हिन्दू, मुसलमान द्वारा ना केवल सरकारी वस्तुओं को ही नुकसान पहुंचाया गया बल्कि इंसानियत तो मानो उन दिनों गुजरात में खत्म ही हो गई हो।
इन दंगों में ऐसा नहीं है की केवल मुसलमान ही मारे गए हो बल्कि कई हिंदुओं की भी जान इस रोष में गई। इन दंगों में करीब 254 हिंदू मरे तो दूसरी तरफ 790 मुसलमान मारे गए।
इस गुजरात के दंगे - गोधरा कांड की शुरुआत ट्रेन हत्याकांड से ही हुई थी और उसी वारदात की जांच कोर्ट में चली, जिसमें पकड़े गये 5 में से 2 लोगों को दोषी ठहराया गया, जिन्होंने हिन्दुओं को जिंदा जलाकर मारा था, लेकिन अन्य तीन अपराधियों को बरी कर दिया गया। इस मामले में कोर्ट ने मुख्य अपराधी इमरान शेरूभटुक और फारूक भाना को उम्र कैद की सजा सुनाई थी वही दूसरी ओर इनके साथी हुस्सैन सुलेमान मोहन, फारूक धांतिया और कसम भमेडी को बरी कर दिया गया था। ये सभी अपराधी गोधरा के रहने वाले थे, जो उस ट्रेन हादसे से जुड़े हुए थे।
देखा जाए तो इन दंगों में मुसलमान या हिंदू सबसे ज्यादा नहीं मारे गए बल्कि सबसे ज्यादा हमारे भारत देश की इंसानियत मारी गई। ये गुजरात के दंगे ना केवल देश और समाज पर कलंक है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक बहुत ही शर्मनाक बात है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत सारे भारतवासियों के भाईचारे में ही हमारी मजबूती है, हमारे देश भारत की मजबूती हैं, हम सब भारतवासी इस बात को जितना जल्दी समझ सके उतना ही बेहतर है।
आओ आज हम सब देशवासी ये प्रण ले कि अब कभी भी ऐसी घटना दोबारा ना हो और भारत देश भाईचारे की एक मिसाल बने।
जय हिन्द।
...... विजेता मलिक