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Showing posts from August, 2025

परिश्रम के अवतार ओमप्रकाश जी

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परिश्रम के अवतार ओमप्रकाश जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~ 30 अगस्त/जन्म-दिवस उ.प्र. में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार के हर काम को मजबूत करने वाले श्री ओमप्रकाशजी का जन्म 30 अगस्त, 1927 को पलवल (हरियाणा) में श्री कन्हैयालालजी तथा श्रीमती गेंदी देवी के घर में हुआ था। उनकी पढ़ाई मुख्यतः मथुरा में हुई। जिला प्रचारक श्री कृष्णचंद्र गांधी के संपर्क में आकर 1944 में वे स्वयंसेवक बने। 1945, 46 और 47 में तीनों वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग तथा पढ़ाई पूर्ण कर 1947 में अलीगढ़ के अतरौली से उनका प्रचारक जीवन प्रारम्भ हुआ। क्रमशः वे मथुरा नगर (1952), मथुरा जिला (1953-57), बिजनौर जिला (1957-67), बरेली जिला (1967-69) और फिर बरेली विभाग प्रचारक रहे। उन दिनों उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र बरेली विभाग में ही था। 1948 के प्रतिबंध काल में वे अलीगढ़ जेल में रहे। बिजनौर में पूरे जिले का प्रवास वे साइकिल से ही करते थे। उन्होंने साइकिल के हैंडल पर रखकर किताब पढ़ने का अभ्यास भी कर लिया था। चाय और प्याज-लहसुन का उन्होंने कभी सेवन नहीं किया। वे होम्योपैथी तथा आयुर्वेदिक दवाएं ही प्रयोग करते थे। आपातकाल के दौरान व...

तरुण तपस्वी रामानुज दयाल जी

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तरुण तपस्वी रामानुज दयाल जी ~~~~~~~~~~~~~~~~~ 30 अगस्त/पुण्य-तिथि उ.प्र. में गाजियाबाद के पास पिलखुवा नगर वस्त्र-निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। यहीं के एक प्रतिष्ठित व्यापारी व निष्ठावान स्वयंसेवक श्री रामगोपाल तथा कौशल्या देवी के घर में 1943 में जन्मे रामानुज दयाल ने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अर्पित किया; पर काल ने अल्पायु में ही उन्हें उठा लिया। 1948 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा, तो पिलखुवा के पहले सत्याग्रही दल का नेतृत्व रामगोपाल जी ने किया। रामानुज पर इसका इतना प्रभाव पड़ा कि उनके लौट आने तक वह हर शाम मुहल्ले के बच्चों को लेकर खेलता और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगवाता। पिलखुवा में हुए गोरक्षा सम्मेलन में संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी व लाला हरदेव सहाय के सामने उसने मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘दांतों तले तृण दाबकर...’ पढ़कर प्रशंसा पायी। 1953 में भारतीय जनसंघ ने जम्मू-कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए आंदोलन किया, तो कौशल्या देवी महिला दल के साथ सत्याग्रह कर जेल गयीं। रामानुज जनसंघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का झंडा लेकर नगर में निकले जुलूस के आग...

डॉo विक्रम साराभाई

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डॉ विक्रम साराभाई Dr. Vikram Sarabhai ~~~~~~~~~~~~~ यदि भारत आज अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में विश्व में अपना विशेष स्थान प्राप्त कर, अपने विभिन्न अन्तरिक्ष कार्यक्रमों के बल पर शिक्षा, सूचना एवं संचार के क्षेत्र में विशेष प्रगति कर पाया है तथा मंगल ग्रह पर अपने प्रथम प्रयास में ही मंगलयान को सफलतापूर्वक प्रतिस्थापित करने वाला विश्व का प्रथम राष्ट्र बन गया है, तो इसका मुख्य श्रेय डॉ. विक्रम साराभाई को जाता है । मौसम पूर्वानुमान एवं उपग्रह टेलीविजन प्रसारण में हमारे अन्तरिक्ष उपग्रहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । डॉ. साराभाई ने ही भारत में अन्तरिक्ष कार्यक्रमों की शुरूआत की थी, जिसके फलस्वरूप कई भारतीय उपग्रह अन्तरिक्ष में छोड़े गए और सूचना एवं संचार के क्षेत्र में देश में अभूतपूर्व क्रान्ति का सूत्रपात हो सका । भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) की स्थापना उनकी महान् उपलब्धियों में से एक थी । रूसी स्पूतनिक के प्रमोचन के बाद साराभाई ने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अन्तरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राजी किया । डॉ. विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस...

अमर शहीद खुदीराम बोस

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खुदीराम बोस ~~~~~~~ तुम भूल ना जाओ उनको, इसलिए सुनो ये कहानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी.. "जो देश अपने वीर और महान सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्मसम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है।"  ....... याद रखना दोस्तों। हमें समय समय पर इन महान हस्तियों को याद करते रहना चाहिए। अपने बच्चों, छोटे भाई-बहनों, आदि को इन वीर सपूतों की वीर गाथाओं को समय-समय पर सुनाना चाहिए। इन अमर बलिदानियों के किस्से-कहानियों को कॉपी-पेस्ट करके अपने-अपने सोशल नेटवर्क पर डालना चाहिए व एक दूसरे को शेयर करना चाहिए, ताकि और लोगो को भी इन अमर बलिदानियों व शहीदों के बारे में पता लग सके। 🙏🙏 भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में खुदीराम बोस की शहादत से समूचे देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी थी। उनके साहसिक योगदान को अमर करने के लिए गीत रचे गए और इनका बलिदान लोकगीतों के रूप में मुखरित हुआ। उनके सम्मान में भावपूर्ण गीतों की रचना हुई, जिन्हें बंगाल के लोक गायक आज भी गाते हैं। खुदीराम बोस (अंग्रेज़ी: Khudiram Bose, जन्म: 3 दिसंबर, 1889; मृत्यु : 11 अगस्त, 1908) मात्र 19 साल की ...