भारत कोकिला सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडु 
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सरोजिनी नायडु पहली भारतीय महिला कॉग्रेस अध्यक्ष और ‘भारत की कोकिला’ इस विशेष नाम से पहचानी जाती है, क्योंकि इन्होंने एक राष्ट्रिय नेता के रूप में भाग लेने के साथ-साथ काव्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। आज यहा उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानते है।

सरोजिनी नायडु जीवनी
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पूरा नाम  – सरोजिनी गोविंद नायडु
जन्म       – १३ फरवरी १८७९
जन्मस्थान – हैद्राबाद
पिता       – डॉ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
माता       – वरद सुंदरी
शिक्षा      – १८९१ में 12 साल के उम्र में वो मद्रास के इलाखे में मँट्रिक के परीक्षा में पहले नंबर ने उत्तीर्ण हुयी। आगे की पढाई के लिये। इग्लंड के केब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया पर उपाधि लिये बगेर भारत लौट आये।
विवाह     – डॉ. गोविंद राजुलू नायडु इनके साथ अंतरजातीय विवाह किया। (१८९८ में)

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फेब्रुअरी 1879 में हैदराबाद में अघोरे नाथ चट्टोपाध्याय और बरदा सुंदरी देवी को हुआ। उनका पैतृक गाव ब्रह्मंगांव, बिक्रमपुर (अभी का बांग्लादेश) था। उनके पिता, अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय, एडिनबर्घ विश्वविद्यालय से विज्ञानं के डॉक्टरेट थे, जो बाद में हैदराबाद में स्थापित हुए, जहा वे हैदराबाद महाविद्यालय में शामिल हुए, जो बाद में हैदराबाद का निज़ाम महाविद्यालय बना।

उनकी माता बरदा सुंदरी देवी एक बंगाली कवियित्री थी। वो उनके आठ सगे भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। उनका भाई वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय एक क्रांतिकारी था और दूसरा भाई, हरीन्द्रनाथ एक कवी, एक कलाकार और अभिनेता था।

नायडू ने अपनी 10वी की परीक्षा मद्रास विश्वविद्यालय से पास की, लेकिन बाद में उन्होंने पढाई से 4 साल का ब्रेक लिया। 1895 में, “निज़ाम शिष्यवृत्ति संस्था” जो 6ठे निज़ाम- मीर महबूब अली खान ने स्थापित की, ने नायडू को इंग्लैंड के पहले किंग्स कॉलेज में पढने का मौका दिया और बाद में गीर्तोंन कॉलेज, कैम्ब्रिज में पढने का मौका दिया।

19 साल की आयु में, पढाई खत्म करने के बाद वे डॉक्टर गोविंदराजुलू नायडू से मिली, जिनसे उनकी शादी कर दी गयी। उस समय इंटर-कास्ट शादी करने की अनुमति नही होती थी, लेकिन उनके पिता ने उनकी शादी के लिए हां कर दी थी।

सरोजिनी नायडू (जन्म नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय) “भारत की बुलबुल” के नाम से भी जानी जाती है, वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और एक कवियित्री थी। उन्होंने 1947 से 1949 तक संयुक्त राज्य आगरा और ओउध की राज्यपाल के रूप में सेवा की, वो भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी। साथ ही वो 1925 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की दूसरी महिला अध्यक्ष बनी साथ ही ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला भी बनी।

एक नजर में सरोजिनी नायडू जी की जानकारी –

1) १३ साल की उम्र में सरोजिनी इन्होंने १२०० पंक्तियों का ‘ए लेडी ऑफ लेक’ नाम  का खंडकाव्य लिखा।

2) १९१८ में उन्होंने मद्रास प्रांतीय संमेलन का अध्यक्ष पद भुशवाया।

3) १९१९ में आखिल भारतीय होमरूल लोग के प्रतिनिधि मंडल में के सदस्य इस हक़ से वो इग्लंड का दौरा कर के आया।

4) १९३० में महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरु किया। गुजरात के धारासना यहाँ का ‘नमक सत्याग्रह’, का नेतृत्व सरोजिनी नायडु इन्होंने बड़े धैर्य के साथ किया।

5) १९४२ के ‘चले जाव’ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और जेल गयी।

6) १९४७ में उन्होंने दिल्ली में हुयें आशियायी परिषद् का अध्यक्ष स्थान भुशवाया।

7) १९४७ में स्वतंत्र भारत में के उत्तर प्रदेश के पहली राज्यपाल के रूप में उन्हें चुना गया।

पुरस्कार : १९०८ में भारत सरकार की तरफ से कैसर-ए-हिंद ये पुरस्कार मिला।

विशेषता :
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भारतीय जनता नायडु इन्हें ‘भारत की कोकिला’ इस विशेष नाम से पहचानती है, क्योंकि इन्होंने एक राष्ट्रिय नेता के रूप में भाग लेने के साथ-साथ काव्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।पहली भारतीय महिला कॉग्रेस अध्यक्ष होने का सम्मान उन्हे मिला। पहली भारतीय महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) होने का सम्मान भी उन्हे ही मिला।

मृत्यु : 2 मार्च १९४९ को उनकी मौत हुयी।

शत-शत नमन करूँ मैं आपको ......
.............. विजेता मलिक

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